डा.रमानन्द झा ’रमण‘ जन्म 02 जनबरी,1949,शिक्षा-एम.ए.,पीएच.डी.,आजीविका-भारतीय रिजर्व बैंक, पटना (सेवा निवृत्त)।
प्रकाशन:मौलिक- समीक्षा1.नवीन मैथिली कविता,1982,2.मैथिली नऽव कविता,1993,3.मैथिली साहित्य ओ राजनीति, 1994,4.अखियासल, 1995,5.बेसाहल,2003,6.भजारल,2005.,7.निर्यात कैसे शुरू करें? हिन्दी- रिजर्व बैंक, पटनाक प्रकाशन सम्पादित8.मैथिलीक आरम्भिक कथा, 1978 समीक्षा,9.श्यामानन्द रचनावली,1981,10.जनार्दनझा‘जनसीदनकृत निर्दयीसासु (1914) आ पुनर्विवाह(1926),1984
11.चेतनाथझाकृत श्रीजगन्नाथपुरी यात्रा (1910),1994,12.तेजनाथ झाकृत सुरराजविजय नाटक (1919), 1994,13.रासबिहारीलाल दासकृत सुमति (1918),1996,14.जीबछ मिश्रकृत रामेश्वर (1916),1996,15.भेटघॉंट (भेटवार्ता),1998,16.रूचय तँ सत्य ने तँ फूसि,199817.पुण्यानन्द झाकृत मिथिला दर्पण(1925), 2003,18.यदुवर रचनावली (1888-1934) 200319.श्रीवल्लभ झा(1905-1940)कृत विद्यापति विवरण, 2005,20.मैथिली उपन्यासमे चित्रित समाज, 2003,21.पण्डित गोविन्द झाः अर्चा ओ चर्चा,1997 प्रबन्ध सम्पादक,22.कवीश्वर चेतना, 2008, चेतना समिति, पटनाअनुवाद23.मौलियरक दू नाटक,1991, साहित्य अकादमी,24.छओ बिगहा आठ कटठा,1999, साहित्य अकादमी,25.मानवाधिकार घोषणा Universal Declaration of HumanRights २००७( यूनेसको),26.राजू आ’ टाकाक गाछ, 2008 रिजर्व बेंक -वित्तीय शिक्षा योजना के अन्तर्गतपत्रिका सम्पादन-सह-सम्पादन1.प्रयोजन,1993 (मासिक),2.कोषाक्षर (हिन्दी)1982,3.घर बाहर,त्रैमासिक, चेतना समिति, पटनाकार्यशाला 1. National Workshop on Literary Translation,- Dec 20.1991 to January12,02,1992, Sahitya Akademi, New Delhi2.Bonds Beyond the Borders ( India-Nepal civil society interaction on Cross Border issues) -Consulate General of India, Birgunj, Nepal and B.P.Koirala India-Nepal Foundation-May 27-28, 20062.Preparation of Intensive Course in Maithili- ERLC, Bhubneswar जूरी 6th Inter National Maithili Drama Festival,1992 -Biratnagar, Nepalपुरस्कार- सम्मान
1.जार्ज ग्रियर्सन पुरस्कार, 1994-95,राजभाषा विभाग,बिहार सरकार, मैथिली नऽव कविता पुस्तक पर,2.भाषा भारती सम्मान, 2004-05 छओ बिगहा आठ कटठा,(अनुवाद) CIIL, मैसूर। - सम्पादक।
बहुत दिनक बाद मिथिलाक ग्रामांचल मे सगर राति दीप जरयक
आयोजन भेल अछि। ओना एहिसँ पूर्व हटनी (19.05.2001) आ ओहूसँ पहिने घोघरडीआ (22.10.1994) आ’ डयैाढ ़(29.04.1990)मे आयोजित भेल छल। शहरे शहरे बौआए सगर राति गाम दिस एक बेर आएल अछि। एहि लेल अषोक कुमार झा ‘अविचल’धन्यवादक पात्र तँ छथिहे। हुनक गौंआँ लोकनि सेहो ओहिना धन्यवादक पात्र छथि।
मुजफ्फरपुरसँ रहुआ-संग्राम धरिक सगर रातिक यात्रामे कतेको बेर निराशाजनक स्थिति आएल। कतेको गोटय एहि रतिजग्गापिकनीकके बन्द करबाक परामर्श देल, मुदा काठमाण्डूसँ कोलकाता, विराटनगरसँ वनारस जनकपुरसँ राँची, देवघरसँ पूर्णियाँ, सुपौलसँ जमशेदपुर धरि सगर रातिक दीप जरैत रहल। नव नव कथाकार अपन नवनव कथाक संग अपनाकँ जोडै़त गेलाह। विभिन्न स्थानक मातृभाषा अनुरागीक स्नेह आ सहयोग एकरा भेटैत गेलैक। सगर रातिक दीप अवाधित रूपे जरैत रखबा लेल ओ ओलोकनि टेमी बातीक ओरिआओन सुरुचिपूर्वक करैत रहलाह। जे सबएकरा अजगूत बुझैत छलाह, सहटि लग आबि अपने आखिए देखल, विश्वास भेलनि। सगर राति दीप जरय कोन पृष्ठभूमिमे आ प्रयोजनवश शुरू भेल छल, आयोजन हेतु कोन कोन शर्त आवश्यक छलैक, तकरा स्पष्ट करबाक हेतु हम प्रथम तीन संयोजक द्वारा प्रेषित आमंत्रण पत्रक सारांश प्रस्तुत करब।सगर राति दीप जरयक अवधारणाक जन्म किरण जयन्तीक अवसर पर 01 दिसम्बर, 1989 कँ लोहनामे साहित्यकार लोकनिक बीच भेल। मुदा साकार भेल प्रभास कुमार चैधरीक माध्यमसँ। ओहि अवधारणा केँ साकारकरबाक उद्देश्यसँ प्रभास कुमार चैधरी साहित्यकार लोकनिकँ आमन्त्रित करैत छओ जनवरी 1990क पत्र द्वारा अनुरोध कएने छलाह-आदरणीय, अपने कँ विदित होएत जे किरण जयन्तीक अवसरपर लोहनामे एकत्रित साहित्यकार लोकनि निर्णय लेलनि जे पंजाबी साहित्यकार लोकनि द्वारा आयोजित ‘दीवा जले सारी रात‘ जकाँ भरि राति कथा पाठक आयोजन घूमि-घूमि कए विभिन्न स्थान पर साहित्यकार लोकनिकआवास पर होअय। पहिल आयोजन 24 दिसम्वर,1989 के ँ कटिहारमेअशोकक डेरा पर राखल गेल छल जेस्थगित भए गेल एक दुखद घटनाक कारणेँ। आगू ओ लिखैत छथि-हमरा पत्र द्वारा ई समाचार भेटल आ एहिआयोजनक प्रारम्भ मुजफ्फरपुरमे करबाक आग्रह सेहो। हम एहि निर्णयकस्वागत करैत दिन राति कथा पाठ आ परिचर्चाक अष्टयामक आयोजन 21 जनवरी 1990, रविदिन राखल अछि। सादर आमंत्रित छी। अपनेक उपस्थितिये पर आयोजनक सफलता निर्भर अछि। अपने 21 तारीखकेँ भोरे दस बजे पहुँचि जाए हमर कार्यालय जकर पाछाँ हमर निवास सेहो अछि। ई स्थान मुजफ्फरपुरक प्रसिद्ध देवी स्थानक सामने अछि। कोनो तरहकअसुविधा नहि होएत। 21 तारीखके ँ दिनुका भोजनोपरान्त कार्यक्रम शुरु होएत, जे प्रातधरि चलत। कथापाठ (नव लिखल कथा) ओ ओहिपर विशेष चर्चा होएत। अपन अएबाक सूचना पत्र द्वारा पहिनहि दए दी तँ विशेष सुविधा रहत। अगिला कार्यक्रमक स्थान आ तिथिक निर्णय एहीठाम कार्यक्रममे लेल जाएत। डेओढ, कटिहार, दरभंगा,पटना आ जनकपुरमे कार्यक्रम करबाक विचार अछि। अहाँक आगमानक प्रतीक्षा मे‘‘- प्रभास कमार चैधरी।

एही प्रकारँ सगर रातिक अवधारणाकँ प्रभास कुमार चैधरी साकार कएल। हुनक पत्नी ज्योत्सना चौधरी करतेबताक आंगनक गृहपत्नी जकाँआगत साहित्यकारक स्वागत करैत भरि राति टेमी उसकबैत रहलीह। पति द्वारा आयोजित साहित्यिक कार्यक्रममे पत्नी द्वारा भरि राति टेमी उसकाएब आ अतिथिक स्वागतमे तत्पर रहबाक दोसर आ सेहो दू बेर उदाहरण प्रस्तुत कएलनि अछि काठमाण्डूक दूनू आयोजनमे श्रीमती रूपा धीरू। पहिल सगर रातिक आयोजनमे रमेश (थाक), शिवशंकर श्रीनिवास (बसात मे बहैत लोक), विभूति आनन्द (अन्यपुरुष), अशोक (पिशाच), सियाराम झा ‘सरस‘ (ओहिसाँझक नाम), प्रभास कुमार चैधरी (खूनी) रवीन्द्र चैधरी, आदि कथा पढल। डा.नन्दकिशोर हिन्दी कथाक पाठ कएने छलाह। अध्यक्षता कएल रमानन्द रेणु। कथाकार लोकनिक अतिरिक्त कथाचर्चामे भाग लेलनि जीवकान्त, भीमनाथ झा, मोहन भारद्वाज, डा. रमानन्द झा ‘रमण‘। पठित कथापर चर्चाक उपरान्त डा.रमण अपन कथा विषयक आलेख शैलेन्द्र आनन्दक कथा यात्राक पाठ कएल। साहित्यकारकस्वाभिमानक रक्षाक हेतु चर्चाक क्रममे निर्णय भेल जेसमाद पर सगर रातिक आयोजनक भार लेबाक अनुरोध स्वीकार नहि कएलजाएत। आमंत्रित कएनिहार लेल स्वयं उपस्थित भए सहभागी बनब आवश्यककए देल गेल।एकर निर्वाह अद्यावधि भए रहल अछि। एक शब्दमे कहि सकैत छी, इएह शर्त सगर रातिक प्राण थिकैक। जीवकान्तक अनुरोध पर
दोसर सगर राति डेओढमे तीन मासक बाद करबाक निर्णय भेल। एहिठाम हम दोसर (डेओढ) आ तेसर (दरभंगा)क संयोजक द्वाराप्रेषित पत्रक अंश प्रस्तुत करब जाहिसँ सगर रातिक लक्ष्य तँ स्पष्ट होएबे करत पत्र लिखबाक क्रम कोन स्थितिमे सम्प्रति अछि, सेहो बुझा जाएत। डेओढ आयोजनक संयोजक जीवकान्त लिखैत छथि-मैथिली भाषाककथाकार लोकनि एकठाम बैसथि अपन नव रचना पढथि आ ओहि पर टीकाविश्लेषण करथि कथाक गति देबामे सामूहिक प्रयत्न करथि। एहि उद्देश्यसँकथा रैलीक आयोजन डेओढमे कएल जाइछ-सृजनात्मक उपलब्धि लेल एकरा स्मरणीय बनेबा मे अपन योगदान करी।दोसर आयोजनमे प्रो.रमाकान्त मिश्र, कीर्तिनारायण मिश्र, वातारानन्द वियोगी, नवीन चैधरी आदि संग भए गेलाह। डा.भीमनाथ झा आ प्रदीप मैथिलीपुत्र दूनू गोटे संयुक्तरूपँ आयोजनक भार लेल जे श्री विजयकान्त ठाकुरक सौजन्यसँ चिनगी मंच द्वारा दरभंगामे सम्पन्न भए सकल। तेसर सगर रातिक संयोजक डा.भीमनाथ झा लिखैत छथि-पत्र पत्रिकाक एहि संक्रान्ति कालमे साहित्यमे संवादहीनताक स्थिति आबि गेलअछि, कथाक स्थिति तँ आर दयनीय। स्पष्टतः कथा लेखनमे गतिरोध देखलजा रहल अछि। एकरे दूर करबाक इच्छुक किछु युवा साहित्यकर्मी कथा संवाद लेल गोष्ठीक आयोजनक निर्णय लेलनि। दरभंगाक आयोजन एकटा नव अध्याय लिखाएल। से थिक एहि अवसर पर पोथीक लोकार्पण। सगर रातिक अवसर पर लोकार्पित पोथीक नामावली विवरण मे देल गेल अछि। तथापि ई उल्लेखनीय अछि जे एहिअवसर पर लोकार्पित होअए बला पहिल पोथी थिक पण्डित श्री गोविन्द झाक कथा संग्रह सामाक पौतीं। प्रभास कुमार चैधरी, जीवकान्त आ भीमनाथ झाक पत्रसँ सगर रातिक आयोजनक, लक्ष्य आ कोन परिस्थितिमे सगर राति दीप जरय सनकार्यक्रम शुरू भेल छल, स्पष्ट अछि। सगर रातिक नियमक अनुसारदरभंगाक आयोजनमे चारिम सगर राति तीन मासक बाद जनकपुरमे डा धीरेन्द्रक अनुरोध पर आयोजित करबाक निर्णय भेल। मुदा कोनो कारणवशआयोजनमे विलम्ब होइत देखि पण्डित दमनकान्त झाक पटना आवास पर पण्डित श्रीगोविन्द झाक संयोजकत्वमे चारिम आयोजन भेल। प्रसिद्ध कथाकार उपेन्द्रनाथ झा ‘व्यास‘ अध्यक्षता कएल आ कथा पाठ कएल। निशा भाग रातिमे व्यासजी अध्यक्षताक भार राजमोहन झाकेँ सौपि देने छलाह। प्रदीप बिहारी पहिल बेर एहीठाम सम्मिलित भए अगिला आयोजन बेगूसरायमे करबाक भार लए लेलनि। दमन बाबू आ व्यासजी नहि छथि। दूनू गोटे मोन पडि रहल छथि। प्रभास कुमार चैधरीक अन्तिम सहभागिता बेगूसरायमे सम्पन्न उनतीसम सगर रातिमे छल। डा. धीरेन्द्र अन्तिम बेर बिट्ठो मे कथा पढने छलाह। वनारसमे सगर रातिक उदघाटन कएने छलाह हिन्दीक प्रख्यात साहित्यकार ठाकुर प्रसाद सिंह। एहिठाम हमर आँखिक समक्ष हुनका लोकनिक स्मृति साकार भए गेल अछि। ओना मजफ्फरपुरसँ प्रभास कुमार चैधरीक संयोजकत्वमे सगर रातिक यात्रा आरम्भ भेल छल। मुदा केन्द्र रहल पटने। पटनामे सात खेप सगर राति अयोजित भेल अछि। सगर रातिक यात्राक विस्तृत वर्णन आ खण्ड खण्डमे विश्लेषण प्रस्तुत अछि। ओकर संक्षिप्त उल्लेख प्रस्तुत अछि।
कटिहार सगर रातिमे नवानीमे आयोजनक निर्णय भेल छल।संयोजक मोहन भारद्वाज प्रो. सुरेश्वर झाकेँकथाकार रूपमे प्रस्तुत कएल। ओतय श्यामानन्दचैधरी आ झंझारपुरक तात्कालीन डी.एस.पी. सरदार मनमोहन सिंह सम्मिलित भेलाह। ओ बरोबरि सम्मिलित होइत रहलाह। पंजाबक कलमकेँ मिथिलाक फूलबाडीमे चतरल देखि प्रमुदित होइत छलाह। सुरेश्वर झा डा. राम बाबूक सौजन्यसँ सकरीमे आयोजन कएल। सकरीमे ए.सी.दीपक अएलाह। नेहरामे आयोजन भेल। नेहरामे मन्त्रेश्वर झा सम्मिलित भेलाह। विराटनगरसँ जीतेन्द्र जीत अएलाह। नेहरामे सगर रातिक अवसरपर पठित कथाक एक प्रतिनिधि संग्रह प्रकाशित करबाक निर्णय भेल। डा.तारानन्द वियोगी एवं रमेश सहर्ष दायित्व ग्रहण कएल। कथा संग्रह श्वेत पत्र प्रकाशित भेल। श्वेत पत्रमे पैटघाट धरि पठित कथासँ बीछल कथा संगृहीत अछि। सगर राति दीप जरय कार्यक्रमकेँजीतेन्द्र जीत नेहरासँ विराटनगर, नेपाल पहुंचाओल। विराटनगरसँ बनारस आ बनारससँ पटना। पटनामे बुद्धिनाथ झा, अर्धनारीश्वर, रा.ना.सुधाकर केदार कानन, अरविन्द ठाकुर संग भेलाह तॅं सगर राति सुपौल पहुंचि गेल। सुपौलसँ बोकारो, ओतयसँ पैटघाट आ पैटघाटसँ रमेश रंजन जनकपुरधाम लए गेलाह। जनकपुरधामसँ इसहपुर। इसहपुरसँ श्यामानन्द चैधरी झंझारपुर आनल। ओतयसँ घोघरडीहा, बहेरा सुपौल आ फेर सुपौल सँ धीरेन्द्र प्रेमर्षि काठमाण्डू लए गेलाह।काठमाण्डूसँ रामनारायण देव राजविराज आ ओतयसँ कोलकातामे प्रभास कुमार चैधरी सगर रातिक रजत जयन्ती आयोजित कएल। कहबाक तात्पर्य जे नव-नव लोकक अबैत रहलासँ सगर रातिक आयोजन बढैत गेल। किन्तु जतय कतहु अग्रिम प्रस्तावक संकट होइत छलैक प्रभास जी आ फेर कमलेश जी ठाढ छलाह। किछु आयोजकक अनुरोध बरोबरि अशोकजीक पाकेटमे पेंडिंग रहैत छलनि। बेगूसरायसँ श्याम दरिहरे संग भेलाह अछि।ओहो कौखन आ कतहु आयोजन लेल तत्पर छथि।जेना जेना किछु लोक संग होइत गेलाह अछि, ओहिना किछु गोटेअपनाकेँ असम्वद्ध सेहो करैत गेलाह अछि। एकर मुख्यतः तीनि टा कारण अछि-
1.अस्वास्थ्य,
2.पठित कथाक प्रतिक्रिया पर खौझा कए असंगत प्रहार, आ‘
3.प्रतिक्रिया सूनि हतोत्साहित होएब, एवं
4.कार्यालयीन व्यस्तता।
एहि बीच नियमित एवं सक्रिय रूपसँ सहभागी बनैत कतेको साहित्यकार अस्वास्थ्य अथवा वार्धक्यक कारणँ आब सम्मिमलित नहि भए पाबि रहल छथि। जाहि मे प्रमुख छथि पण्डित श्री गोविन्द झा, रमानन्द रेणु, सोमदेव, जीवकान्त, मोहन भारद्वाज आदि। पठित कथा पर अपन स्पष्ट मंतव्यसँ चर्चाकँ जीवन्त बनौनिहार प्रो. रमाकान्त मिश्र कथाकार शिवशंकर श्रीनिवासक प्रतिक्रियासँ आहत भेला पर सकरीक बाद अपनाकेँ पूर्णतःसमेटि लेलनि। विविधा पर साहित्य अकादमीक पुरस्कारक विरोधमे केदार काननक नेतृत्वमे कलमल सुपौलक साहित्यकारक प्रतिक्रियाक कारणँ डा.भीमनाथ झा जाएब छोडि देलनि। जे प्रभास जीक मनौअलि पर पण्डित गोविन्द झाक गाम इसहपुर जएबाक लेल तैआर भेल छलाह। तकर बाद कमे ठाम गेलाह अछि। श्वेतपत्र मे अपन कपचल कथासँ आहत जीतेन्द्र जीत अपन बाट काटि लेलनि। किछु गोटे एहि आशाक संग संवद्ध भेल छलाह जे लोक प्रशंसाक महल ठाढ कए देत, तकर पूर्ति नहि भेला पर उत्साह कमि गेलनि। किछु गोटेक मास्टरी नव आगन्तुक लेल आतंककारी एवं अनुत्पादक भए गेल अछि। सगर रातिक प्राण थिक अप्रकाशित आ अपठित कथाक पाठ। ओहि पर श्रोता अपन प्रतिक्रिया व्यक्त करैत छथि। ई प्रतिक्रिया तात्कालिक होइछतेँ सम्भव रहैत छैक जे पुनः सुनला वा पढला पर भिन्न प्रतिक्रिया हो। एहि सक्रियताक तीन प्रकारक सकारात्मक प्रभाव अछि-
1.रचनात्मक सक्रियतामे वृद्धि,
2.कथाक शिल्पमे सुधारक अवसर आ‘
3.व्यक्तित्वमे सहनशीलताक गुण बढेबाक अवसर।
पहिल सगर रातिमे प्रायः आठ टा कथाक पाठ भेल छल। कथाकसंख्या क्रमशः बढैत गेल। सबसँ बेसी कथाकारक सहभागिता महिषीमे भेल छल। एहि बीच जतेक कथा संग्रह छपल अछि, अधिकांश कथा सगर रातिक अवसर पर पठित आ चर्चित अछि। वयोवृद्ध साहित्यकार श्यामानन्द ठाकुर बहेरामे संग भेलाह।ओहिठामसँ संग छथि। हुनक सक्रियताक अनुमान एहीसँकए सकैत छी जे ओ प्रत्येक आयोजन लेल दू टा कथा लिखैत छथि।
एमहर आबि पठित कथाक चर्चाक स्वरूप बदलि गेल अछि। पहिने पठित कथाधरि अपन प्रतिक्रिया सीमित राखल जाइत छल। मुदा आब व्यक्त विचारकँ कटबा पर विशेष ध्यान रहैत अछि। एहिसँ पक्ष विपक्षक स्थिति बनि जाइछ। कतेकोठाम अप्रीतिकर स्थिति उत्पन्न भए गेल अछि। चर्चाबहकय नहि एहि लेल प्रभासजी पूर्ण सतर्क रहैत छलाह। हुनक अभाव खूब खटकैत रहैत अछि।कवि सम्मेलन मनोरंजनक हेतु आयोजित होअय लागल अछि।रचनात्मक स्पर्धा अथवा सक्रियताक महत्व गौण छैक। तँ कवि लोकनि गओले गीत गबैत छथि। मुदा सगर रातिक अवसर पर अप्रकाशित एवंअपठित कथा पढबाक वाध्यताक कारणेँ रचनात्मक सक्रियता बढल अछि।
एक बेर व्यासजी गोविन्द बाबूकँ परामर्श दैत कहने छलथिन्ह जे धूमि घूमि भरि राति जागब अहाँक स्वास्थ्य लेल ठीक नहि अछि। गोविन्द बाबूक उत्तर छल जे हमरा एहिसँ उर्जा प्राप्त होइत अछि। आंकडा़ कहैत अछि ओ सबसँ बेसी भरि राति ओएह बैसलाह अछि तथा सबसँ बेसी हुनके व्यक्तिगतपोथीक लोकार्पण एहि अवधिमे भेल अछि। ई थिक सगर रातिक रचनात्मक प्रभाव। रचनाकारकँ उर्जस्वित रखबाक महान अवसर। कवि सम्मेलनमे आयोजककँ विदाइक व्यवस्था करय पडै़त छनि। सगर राति एहि व्याधिसँ मुक्त अछि। सहभागी सत्यनारायणक पूजाक हकारजकाँ अबैत छथि आ भोर होइते घूमि जाइत छथि। एहिमे व्यावसायिकता नहि अछि, ई मातृभाषा प्रेमक सन्देश दैत अछि।सगर रातिक आयोजन विभिन्न स्थान पर भेलासँ स्थानीय विद्वत समाज आकर्षित होइत छथि। एकर प्रभाव ओहि स्थानक मैथिलीक सक्रियता पर पड़ैत अनुभव कएल गेल अछि। सगर राति दीप जरय समानधर्माकँ भरि राति एकठाम रहबाक अवसर दैत अछि। विचारक आदान प्रदानक केन्द्र स्वतः मैथिली भाषा आ साहित्य भए जाइत अछि। एहिसँ परिचय आ अनुभवक क्षेत्रक विस्तार होइछ। मैथिलीक रचनाकारमे भावात्मक संवद्धता बढैत अछि।सगर राति दीप जरयक निरन्तर आयोजनसँ मैथिली कथा लेखनक क्षेत्रमे शान्तिपूर्ण क्रान्ति आबि गेल अछि। आन भाषाभाषी आ सात्यिकारकबीच मैथिलीक कथाकारक प्रतिष्ठा बढल अछि। विशेषतः एहि हेतु जे मैथिलीक कथाकार दूर-दूरसँ अपन पाइ खर्च कए पहुचैत छथि। कथा पढैत आ सुनैत छथि। अपन कथा पर लोकक प्रतिक्रिया धैर्यपूर्वक सुनैत छथि। आ फेर अग्रिम आयोजनमे सम्मिलित होएबाक संकल्पक संग घूमि जाइत छथि। जे सगर राति कथाकार लेल कल्पित भेल छल,समाजक सुधी समाजक अन्तःकरण मे प्रवेश कए मैथिली भाषा साहित्यक पक्षमे अनुकूल वातावरणबनेबामे सार्थक भूमिकाक निर्वाह कए रहल अछि। जहिआ सगर राति प्रारम्भ भेल छल आ एखनुक जे स्थिति अछि ओहि मे गुणात्मक आ परिमाणात्मक दूनू प्रकारक परिवर्तन स्पष्ट अछि। विकासक ई दिशा आ गति निश्चिते शुभलक्षण थिक। एहि शुभ लक्षणक उदाहरण तँ इएह थिक जे दरभंगाक पहिल आयोजनमे पहिले पहिल दू टा पोथीक लोकार्पण भेल छल आ स्वर्ण जयन्तीक अवसर पर 36 टा पोथी लोकार्पित भेल। विद्वानलोकनि कहि सकैत छथि कोन भाषाक मंच पर एकबेर 36 टा पोथीक लोकार्पण भेल अछि।दरभंगामे एकटा अमेरिकन नागरिक मैथिलीमे कथाक पाठ कएने छलाह। सगर राति दीप जरयक दृष्टिसँ बोकारो उर्वर छल, एम्हर आबि राँची, जमदेशपुर देवघर पूर्णियां आदि स्थान मैथिली लेल जगरना कएलक अछि,इहो शुभ लक्षण थिक।मुदा, सगर रातिक लोकप्रियता आ बिना वर.विदाइक साहित्यकार एवं साहित्यानुरागीक उपस्थितिक उपयोग कतहु कतहु कथा पाठ एवं ओहि पर चर्चासँ भिन्न प्रयोजन सिद्धि लेल सेहो भए गेल अछि। जे सगर रातिक मूल अवधारणाक अनुकूल नहि अछि। ओहिसँ बचबाक चाही। सहरसामे दोसर खेप सगर रातिक आयेजन 21 जुलाई, 2007 केँ भेल छल। सगर राति आयोजनक एक प्रमुख आकर्षण अछि भेटघाँट। ओहिसँ बाहरक साहित्यकार वंचित रहलाह। उपस्थितिक प्रसंग सूनि जीवकान्त जी 22 जुलाई, 2007क अपन पोस्ट कार्डमे लिखलनि अछि-
‘सहरसा कथा गोष्ठीक खबरि भेल। कथा गोष्ठी भूतकालक वस्तु भेल। लेखन काज लेखक सभ छोडने जाइत छथि। सेमिनार, तकर प्रचलनबढल अछि। टी.ए./डी.ए./भेटघाँट ई सभ भए गेँबुू जे लेखकीय ल तझअस्मिताक अहंकार पुष्ट भेल आ‘ एक दोसराकँ बल देल। सरकारी मान्यताक बाद भाषामे अनेक राजरोग उत्पन्न होइत छैक। मैथिली निरपवाद रूपे पहिनेसँ बेसी रोगाहि भेल छथि। जिबैत रहओ।‘हमरा विश्वास अछि सगर रातिक नियमित आयोजन मैथिलीके राजरोगसँ मुक्त रखबामे सफल होएत। साहित्य अकादेमी सँ वर्ष 2007 लेल पुरस्कृत प्रहरी प्रदीप बिहारीक कथा संग्रह सरोकारक प्रायः समस्त कथा सगर राति दीप जरयक अवसर पर लोक सुनने अछि। आ‘ ओहि पर अपन-अपन प्रतिक्रिया व्यक्त कएने अछि। सगर रातिक ई पहिल उपलब्धि थिकैक। एहि उपलब्धि पर मैथिली एहि शान्ति क्रान्तिक एक प्रतिभागीक रूपमे गर्व अनुभव करैत छी आ‘कामना करैत छी इतिहास दोहराइत रहय।
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