भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
(c) २०००-२०२२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि। भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.html , http://www.geocities.com/ggajendra आदि लिंकपर आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha 258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/ भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै। इंटरनेटपर मैथिलीक पहिल उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि, जे http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA
(c)२०००-२०२२. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। सह-सम्पादक: डॉ उमेश मंडल। सहायक सम्पादक: राम विलास साहु, नन्द विलास राय, सन्दीप कुमार साफी आ मुन्नाजी (मनोज कुमार कर्ण)। सम्पादक- नाटक-रंगमंच-चलचित्र- बेचन ठाकुर। सम्पादक- सूचना-सम्पर्क-समाद- पूनम मंडल। सम्पादक -स्त्री कोना- इरा मल्लिक।
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स्थायी स्तम्भ जेना मिथिला-रत्न, मिथिलाक खोज, विदेह पेटार आ सूचना-संपर्क-अन्वेषण सभ अंकमे समान अछि, ताहि हेतु ई सभ स्तम्भ सभ अंकमे नइ देल जाइत अछि, ई सभ स्तम्भ देखबा लेल क्लिक करू नीचाँ देल विदेहक 346म आ 347 म अंक, ऐ दुनू अंकमे सम्मिलित रूपेँ ई सभ स्तम्भ देल गेल अछि।
“विदेह” ई-पत्रिका: देवनागरी वर्सन |
“विदेह” ई-पत्रिका: मिथिलाक्षर वर्सन |
“विदेह” ई-पत्रिका: मैथिली-IPA वर्सन |
“विदेह” ई-पत्रिका: मैथिली-ब्रेल वर्सन |
विदेह: वर्ष:2::मास:17::अंक:33- part V
(मैथिली नाटक)-अन्तिम खेप
विभा रानी
(वर्तमान। स्त्री मंच पर अबैत अछि।.... पार्श्र्व स' समदाओन चलैत अछि। स्त्रीक विवाहक बाद विदा लेबाक अभिनय। एकरा ओ अपन लाल ओढनी से प्रतिध्वनित करैत अछि। समदाओन सुनाइ पड़ैत अछि)
बड़ा रे जतन स' सिया धिया पोसल
सेहो सिया राम नेने जाए
आगू आगू रामचन्दर, पाछू पाछू डोलिया
तही पाछू लछुमन जे भाई
लाल रंगे डोलिया, सबुज रंग ओहरिया
लागि गेलै बत्तीसो कहार ।
(समदाओन धरि स्त्री मंचक एक ओर से दोसर दिसि जाइत अछि, जेना नइहर से सासुर पहुंचि गेल हुअए।
स्त्री सासुर पहुंचलाक बाद 'कनिया एलै', 'कनिया परीछू'क सोर भेलै। गाडिये मे हमरा परीछि- तरीछि के सभ किओ हमरा आगं बढेलक। चंगेरी मे पएर दइत हम आगां बढलहुं। आइ-माइ-दाइ सभ फ़ेर गीत शुरु केलीह। गीत, धुन, बदलइत अछि। स्त्री जेना चंगेरी मे पएर राखैत आगां बढि रहल हुअए। गीतक स्वर)
दुल्हीन धीरे-धीरे चलियऊ ससुर गलिया
ससुर गलिया ओ भैंसुर गलिया
तोरे घँूघटा मे लागल अनार कलिया
स्त्री चंगेरी-यात्रा के बाद हम पाओल जे हम सभ एक गोट दूरा पर ठाढ छी- दूर छेकाइ लेल। रोहित सभ के यथायोग्य नेग-तेग देइत आगां बढलाह, आ पाछू-पाछू हम। कोहबरक बिध-बेबहारक बीच फ़ेर गीत उठलै- (कोहबरक गीत। स्त्री द्वारा कोहबरक बिध, खीर खुअएबाक आदिक अभिनय )
आज फूलों से कोहबर भरा जाएगा
आज दूल्हा ओ दुल्हन सजा जाएगा
जरा सा तो टीका पहन मेरी लाड़ो
तेरे बचवे पर सबका नजर जाएगा।
(प्रेमक प्रसंग.. स्त्री द्वारा प्रेमक नाना अभिव्यक्तिक आ चरम संतुष्टिक बाद गहीर नींद मे सुतबाक अभिनय... नीने मे जेना नवजातक परिकल्पना।.. स्त्री ओकरा गसिया लइत अछि.. चुम्मा लइत अछि.. अपन पेट के सोहरबइत अछि.. सोहरबइत-सोहरबइत चेहाइत अछि.. हमरा स' नञि भ' सकत, एहेन अभिनय.. कल्पने मे बच्ची के बेर-बेर पँजियबैत अछि.... ओ कनेक नर्वस अछि.. स्त्रीक पतिक पएर पडबाक, रूसबाक, मनेबाक अभिनय.. प्रताडित हेबाक अभिनय.. स्त्री डेकरैत अछि.. )
स्त्री : बाउजी! हमरा बचा लिय'..। हमर बेटी के बचा लिय'। आइ धरि अहां हमरा अपना पुतरी मे सन्हियाक' राखलहुँ.. मुदा हम.. हम अपन बच्ची के.. (पति स') रोहित, रोहित,प्लीज.. अरे, कोना अहाँ एतेक निष्ठुर भ' सकै छी..? की फेदा अई जिनगी स'? एहेन जिनगी? हमर पढ़ाई बिच्चहि मे छोडबा देलहुँ.. गामक पहिल लडकी के इंजीनियर बनबाक स्वप्न.. अधरस्ते मे दम तोडि देल.. संगे छलहुं ने हम दुनू, एके क्लास मे। अहाँ स' कम त' किन्नहुं नञि छलहुँ.. कखनो अहाँ फर्स्ट आबी, कखनो हम.. विवाह स'पहिने एतेक रास चर्चा, डिस्कशन्स, ज्वाइंट स्टडी.. आ विवाहक बाद सभटा सुड्डाह.. पूछला पर एक्कहि टा वाक्य- मायक इच्छा.. हुनका नोकरीबला पुतौहु पसिन्न नञि.. अंग्रेजी बाज-भूक'बला लडकी हुनका नञि चाहीं । त' जहन इयैह सभ छल, तहन विवाह स' पहिने कियैक ने कहल? .. गामक पहिल लडकी हम, जे प्रेम कएल.. भौजी सभ की-की सभ नञि सुनौलन्हि। भौजी सभ माय के सुना सुना के कहितथिन्ह- 'हम सभ जौं एना कएने रहितहुं, त' हमर बाउजी त' हमरा सभ के जीबिते खाल खींचि के भुसि भरबा देने रहितियन्हि।' ..फ़ेर ओ सभ हमरा खोंचारैथि- 'अयं ये प्रेमा दाय, कालेज इंजीनियएरीक पढाइ पढ' जाय छलहुं कि प्रेमक इंजीनियरी पढ' लेल..? हं ये, राधा कृष्णक रास कत' नञि होइत छैक.. अयं ये प्रेमा दाइ, रास मे सभ किछु द' देलियन्हि कि किछु बचाइयो के राखलियन्हिए कि नञि.. नीके छै, विवाहक पहिनही विवाहक सभटा मज़ा लूटि लिय'। बाद मे फ़ेर ई कन्हैया नयिं त' कोनो आन कन्हैया, रास रचैया त'भेटबे करताह.. हुनका ट्रेनिंग अहीं द' देबैन्हि, कहबन्हि जे इंजीनियरीक ई खास कोर्स छलै... (कनैत) ई सभटा अपमान हम चुपचाप सहि गेलहुं।.. मात्र एक्कहि टा उमेद पर,जे एक बेर बस, एक बेर अहां लग आबि जाइ, तहन त' फ़ेर सुखे सुख.. धन्य हमर बाउजी। वएह हमर सखा, वएह हमर सहायक.. सभटा विरोध सहितहुं हमर अन्तर्जातीय विवाह लेल पूर्ण सहमति देलन्हि.. अहाँक मायक सभटा सौख सरधा हमर बाउजी तिगुना चौगुना क' क' पूर्ण कएलन्हि। मुदा.. हुनका लेल हम एखनो धरि आनि जातिएक छौंड़ी छी..। घर परिवारक मर्जाद आ बाउजीक मुंह देखि चुप छी..। भरि दिन कोल्हूक बरद जकाँ खटैत छी.. मुदा चुप छी..। अहाँ स' दूटा गप्प कर' लेल तरसि जाइ छी.. मुदा चुप छी..। कतेक अरमान छल.. स'ख सिहंता छल.. अहाँ स' दुनिया जहान पर चर्च करब.. डिस्कशन्स करब, मुदा..(स्त्री के लागैत छै जे कोनो छोट बालिका ओकरा ल'ग आबि कनफुसकियाइत अछि -माँ! हम आबि रहल छी!
स्त्री : (स्त्री चेहाइत एम्हर-ओम्हर ताकैत अछि) के? के छी? कत' स' बाजि रहल छी?
बालिका : हम! अहींक बेटी! अहींक पेट स'..
स्त्री : (पेट पकडि के) नञि बाजू! चुप भ' जाऊ! आ सूति जाऊ! ई कोनो गप्प करबाक बेर छै?ई त' सुतबाक बेर छै। सूति रहू। देखिऐ, हमरो नींन आबि रहलए। हम्हूं सूति रहलहुं। ई देखियौ। (फोंफ कटबाक अभिनय। स्त्रीक बच्ची रूप मे हंसि आ कथन..)
बालिका : झूठ! बहन्ना! निन्नी नयिं। माँ! हम आएब, हमरा आब' दिय'।
स्त्री : (पति स') रोहित, सुनू ने! प्लीज! ई अप्पन संतान अछि.. हमर-अहाँक प्रेमक प्रथम निशानी! ..बाउजी कहै छथि.. बेटा-बेटी में कोन फरक?.. मुदा नञि! बाउजी, फरक छै..। फ़रक नयिं रहितियन्हि त' हम एना अपने बच्चा लेल एतेक अंहुरिया कटितहुं? ओकरा अई धरती पर आन' में अपना के एतेक असहाय अनुभव करितहुँ..। हम सभ त' गुलाम छी । कहलो गेल छै- पराधीन सपनहुं सुख नाही। .. अम्मा जी.. मानि जाथु ने.. गोर पड़ै छी अम्मा जी, गोर पड़ै छी। अरे, आब अई मे हमर कोन दोख, यदि हमर कोखि मे बेटीए आएल त'? साइंस पढबइत काले टीचर हमरा सभ के बुझेलखिन्ह जे प्रजनन प्रक्रिया मे दू टा फ़ैक्टर होइत छै- एक्स आ वाई। स्त्री मे मात्र XXएटा होइत छै, आ पुरुख लग X आ Y दुनू। पुरुख X देलन्हि त' बेटी आ Y देलन्हि त' बेटा। अम्माजी,छोट मुंह, जेठ गप्प.. जदि हिनको पहिल बेर बेटीए भेल रहितियैक तहन..
सासु : (सासुक स्वर मे) तहन? तहन मारि देने रहितियैक। आ मारि देने रहितियैक नञि, मारि देलियई.. ओहो एकटा के नञि, तीन तीन टाके.. आ, ले, देख हमर हाथ.. देख, भगै कत' छें? ले देख, देख।
(दुनू हाथ भयानक तरीका स' सोझा देखबइत अछि। स्त्री चेहाक' आ डेरा क' दूर भगैत अछि.... स्त्री विक्षिप्त जकाँ करैत अछि..)
स्त्री हा.. हा.. स्त्री.. अभागल..। शास्त्र मे कहल गेल छै, 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवा:!' फूसि, अनर्गल.. हम सभ त' मात्र दासी छी.. सेविका.. भूमिका मे बन्हल..'भोज्येषु माता, शयनेषु रम्भा:।' हम सभ मनुक्ख नञि, मात्र भूमिका छी.. भूमिका नीक.. हम नीक.. नीक-अधलाहक फ्ऱेम हुनकर.... त' जहन भूमिके छी, त' जीब' दिय'हमरा आओर के अपन भूमिका संग.. माँ.. माता.. जननी.. मुदा नयिं, हम सभ त'कठपुतरी भरि छी। डोरी आनक हाथ में आ नचै छी हुनका ताले। .... (स्त्री उन्मत जकाँ चिकरइत अछि) ले, ले, भोगि ले.. भोग्या छी हम.. आऊ, आऊ, आ मर्दन करू हमर इच्छा के, हमर मान के, हमर सम्मान के.. हे.. हे समस्त स्त्रीगण.. हे समस्त स्त्रीगण,आऊ, आऊ आ प्रस्तुत करू अपना के.., प्रस्तुत करू अपना के, प्रस्तुत करू अपना के,प्रस्तुत करू अपना के। (एक-एक वस्त्र उतारबाक अभिनय। अंतिम वस्त्र उतारैत मुंह नुका लइत अछि..) मात्र रम्भा, मात्र उर्वशी, मात्र मेनका.. अहिल्या, द्रौपदी, कुन्ती, तारा,मंदोदरी - ई प्रात: स्मरणीया पंचकन्या नञि.. रंभा, उर्वशी, मेनका-भोग्या।..सीता..त्याज्या। ..नञि, द्रौपदी नञि। पति आ समाज स' प्रश्न पूछ'बाली द्रौपदी नञि चाही हमरा समाज के.. मात्र सीता चाही हमरा.. सीताक भूमि पर सीते-सीता.. प्रश्न नञि.. मात्र सहू.. आ नञि सहि सकी त' सन्हिया जाऊ.. ।
बच्ची मां, मां, आब' द दिय' हमरा। हम आएब। मां, मां, हमरा बचा लिय', बचा लिय' हमरा।(बालिकाक चिकरनाइ)
(स्त्री के होइत छै जे किओ ओकरा बचिया के ओकर कोखि से बाहर घींचि रहलए। स्त्री द्वारा बालिका के बचब' लेल ओकरा दिस दौगनाई कि बिच्चहि मे ठमकि जाइत अछि आ बेहोश भ' जेबाक अभिनय करैत अछि, जेना ईथर सुंघाएल गेल हुअए..। फ़ेर कने चैतन्य भ' क' एम्हर-ओम्हर करोट फ़ेरैत अछि।.. हठात ओ चिकरैत अछि, जेना किओ ओकरा घिसिया रहल हुअए.. ओ दौग-दौग क' चारू कात स' भागबाक प्रयास करैत अछि, मुदा सभ ओर स' ओकर रास्ता बन्न अछि.. चारू कात स' निराश ओ पाछा मंचक देवाल/पर्दा दिस भागैत अछि आ ओत' टकराक' खसैत अछि.. ओ एक पएर पकडि क' चिकरैत अछि,जेना किओ ओकर एक टाँग काटि देने हुअए.. 'माँ...' स्त्री एके पएर से अपना के घिसियबइत भागबाक प्रयास करैत अछि कि फेर दोसर पएर पर प्रहार.. ओकर पुन: चीख..। तेज संगीत.. स्त्री दुनू पएर स'अशक्त फेर दोसर दिस भगैत अछि.. आब एक हाथ कटबाक अभिनय.. ओकर कननाइ- 'ई की क' रहल छी? हमर बेटी के कत' ल' जा रहल छी? .. अरे, हमर बेटी अहांके की बिगाडने अछि?' स्त्रीक पुन: बच'लेल एम्हर-ओम्हर दौगनाई - एक हाथ आ दुनू पएर स' अशक्त.. कि दोसर हाथ कटबाक अभिनय आ ओकर चिकरनाइ.. 'एना जुनि करियउ हमर बेटी संगे। एना त' ओकर अंग-भंग क' क' नयिं मारियऊ हमर बेटी के। छोडि दियऊ हमर बेटी के।' .. (स्त्रीक बेचैनी बढ़ैत अछि.. ओ एम्हर स' ओम्हर दौगि रहल अछि.. लोथ-हाथ-गोर कटबाक अभिनय संगे.. अचानक जेना माथ पर प्रहारक अभिनय.. अभिनय स' पहिने जेना हथौड़ा माथ पर बरजैत देखने हुअए.. तदनुसार मां.. शब्दक चीख, छटपट आ भागबाक अभिनय..'माँ, मां, मां मां,.. देखब ई दुनिया.. हमरा आब' दे'.. कि माथ पर प्रहार आ ओ एकदम स' शांत.. स्त्री चक्कति खा के' खसि पड़ैत अछि। कनेक काल बाद ओकर शरीर मे हरकति होइत छै.. अशक्त भावे उठैत अछि आ विद्यापतिक गीत गबैत अछि।)
'कखन हरब दुख मोर हे भोलानाथ
दुखहि जनम लेल दुखहि गमाओल
नयन न तिरपित भेल', हे भोलानाथ..
(स्त्री लस्त पस्त अवस्था मे उठैत अछि.. ओ एखनो विभ्रम केर अवस्था मे अछि। अही अवस्था मे ओ अपना के निरेखइत अछि, पेट सोहरबइत अछि। पहिने लागै छै जे पेट मे किछु नयिं छै, मुदा फ़ेर पेट के सोहरबइत अछि। अई बेर ओकरा प्रतीत होइत छै जे ओकर गर्भ नष्ट नयिं भेलैये। ओ रसे- रसे अपना के सम्हारैत अछि ..कपड़ा, केश, विन्यास आदि सभटा ठीक करैत अछि.. मोन मे बेचैनी छै, जकरा एकटा दीर्घ श्र्वासक संगे बाहर करबाक प्रयास करैत अछि.. गमे- गमे चलि क' फ़ेर ओ ओहि स्थान पर पहुंचइत अछि, जत' ओ छलीह। ओकरा चेहरा पर फ़ेर विभ्रमक स्थिति अछि। ओ अपन शरीरक एक एक अंग देखैत अछि, फ़ेर अपन पेट के। वास्तविकताक भान भेला पर ओ अपन पेट के प्यार स' सोहरबैत अछि। एक गोट निश्चयक भाव ओकर चेहरा पर अबैत छै, जे भेलै बहुत, आब नञि। स्त्री रसे- रसे उठैत अछि,अपन संपूर्ण शरीर के निरखैत अछि, जेना ओकर संपूर्ण शरीरक एक एक टा अंग नव-नव हुअए। ....अपन स्वर के निश्चित बनबैत अछि। मुख पर दृढ निश्चयक भाव। )
स्त्री नञि संभव अछि हमरा स' ई .. अपने हाथे अपन संतानक हत्या.. धरती पर जनमल संतानक हत्या करितहँु त' जेल जइतहुं, राक्षसी कहबितहुं, मुदा ई अजनमल संतानक.. सेहो हिनका आओरक प्रसन्नता लेल?.. हिनक तथाकथित.. परम्पराक रक्ष लेल?े.. हमरा स' विवाह कएला सन्ते जे मर्जाद टूटल छल, तकर अभिशाप दूर कर' लेल?'.. (दर्शक स') ई हमर इंजीनियर पति..कहबाक लेल आधुनिक, मुदा आधुनिकता स' कोसो दूर.. अरे, आधुनिक त' हमर पिता छथि- ग्रामीण, कमे पढल-लिखल, मुदा विचार स'कतेक आधुनिक.. परन्तु ई हमर अजुका जुगक पढुआ पति? प्रेमी रूप मे कतेक नीक,कतेक समर्पित- आ प्रेमी स' पति बनितहि सभटा सुड्डाह? हिनका लेल हम मात्र पत्नी,मात्र भोग्या..। .. अपने त' मातृभक्त कहाब मे ई बड्ड गौरव बुझै छथि, ..मुदा..हमरा मातृत्व सुख स' वंचित कर' लेल आएल छथि.. (जेना संपूर्ण सृष्टि के ललकारैत) त'सुनू, हे सृष्टि, हे बिधाता, हे अई धरतीक समस्त नर- नारी! सुनू, हम तैयार छी.. अपन बेटीक उत्तरदायित्व वहन कर लेल.. हे, सुनने छलहुँ.. ओकर धडकन.. डाक्टर सुनौने छल..कतेक मीठ, कतेक सोहनगर.. धक-धक, धक-धक, छुक छुक, छुक- छुक..जेना रेलगाड़ी चलैत हुअए। एहेन मीठ आ सोहनगर धडकन के हम अपने हाथे.. बन्न क' दी?..आ जौं दोसरो बेर बेटिए एलीह, तहन फेर डाक्टर.. फेर हत्या। फ़ेर इय्ह सभ नाटक?..न.., बहुत भेल।..प्रेमी स' पति रूप मे परिवर्तित तथाकथित मातृभक्त हमर परम प्रिय प्राणपति परमेश्र्वर.. हँ, हम.. अई धरतीक कोमल, अबला, कमजोर, असहाय स्त्री, आई समाजक देल ई परिभाषा स' अपना के मुक्त करै छी। मुक्त करै छी अपना के अई सभ बंधन स'.. आ धारण करै छी अपन स्त्रीत्व के.. स्त्रीत्वक मान के, ओकर मर्याद के आ शप्पथि लइत छी अई धरती माता के छूबि के जे आब नञि.. आब नञि त' हम मरब,नञि हमर बेटी.. (स्त्री उत्तेजना स थर थर कंपैत अछि। स्त्री के लागै छै जे ओकरा कान मे ओकर बेटी कुहुकि रहल अछि। ओकरा चेहरा पर प्रसन्नताक भाव अबै छै। ओ प्रथम दृश्य मे मंचक पाछां रखल गुडिया के उठा क' ल' अबाय्त अछि। ओकरा कोरा मे नेने-नेने ओ मंचक बीच में बैसि जाइत अछि.. ओक्का-बोक्का खेल स्त्री आरंभ करैत अछि..)
'ओक्का बोक्का तीन तरोक्का
लउआ लाठी चंदन काठी
चंदना के नाम की?
रघुआ
खइल' कथी?
दूध भात
सुतल' कहाँ?
बोन मे
ओढल' कथी?
पुरइन के पत्ता
ढोढिया पचक!
ढोढिया पचक पर स्त्री अपन तर्जनी प्यार स' गुडिया दिस आ फ़ेर अपने नाभि पर खोपैत अछि.. दुनू खिलखिलाइत अछि.. पार्श्र्व स' मृदुल, मद्घम सितारक अथवा जलतरंगक धुन.. स्त्रीक नाना बाल-कौतुक /मातृ सुलभ गतिविधिक संगे प्रकाश शनै: शनै: फेडआउट होबैत अछि.... ।
(समाप्त)
1
Preeti said...
बलचन्दाक धारावाहिक प्रस्तुतिक लेल धन्यवाद। अहाँक दोसर रचनाक आश रहत।
Reply05/06/2009 at 03:48 PM
2
Rahul Madhesi said...
Vibha Rani Jik Natak Bad Nik Lagal.
Reply05/05/2009 at 11:51 AM
१. कामिनी कामायनी - सूटक कपङा आ २.कुमार मनोज काश्यप-प्रतिरोध
कामिनी कामायनी: मैथिली अंग्रेजी आ हिन्दीक फ्रीलांस जर्नलिस्ट छथि।
सूटक कपङा
वेदान्तक माय बेर बेर कहलखिन्ह ‘रै बाैआ ़ ़ ़ कनि अपन सूटक कपङा देखानै ़ ़ ़ ।गनगुआरि वाला पीसा आयल छथि ़़ ़हुनका विदाय में द’ दैतियैन्ह त एखन कीन
नै पैङतै ़ ़़ ़हाथ मे पाइर् नहि अछि एखन ।’ आहि रे बा़ ़़ देखै के काेन काज ़़ ़ हम त’ देखने छी नै ़ ़ ़आ आेतेक दामक सूट गनगुआरि वाला पीसा सपनाे मे देखने हेता ़ ़़जे पहिरय देबहुन ़ ़ ़ ।हुनका त’ कपङा देखिते मातर दाॅति लागि
जेतैन्ह ़़ ़ ़सिलाइर्याे के पाए हेतैन्ह ़ ़ ़ धाेती द’ दहुन बिदाइर् ़ ़ ़आे आे हि जाेगर छथि ।’ माय चुप भ’ गेलीह ।
छाेटकी बहिन पुछलखिन्ह ़ ़ ़ ‘के देलक अछि सूटक कपङा ़़ ़ ़ कनि हमराे सब के देखय दियाै नै ।’ ‘आफिस मे एक गाेटे देलकै ़ ़ ़।आेकर कत्तेक
काज नै हम कराैने छी ़़ ़।गिफ्ट त’ बङ लाेक देलकै़ ़ ़ कियाे तमधैल ़़ ़ कियाे
गिलासक सेट ़ ़ ़़ ़ ़कियाे सेन्टक सीसी ़ ़ ़ ़आर किदन किदन ़ ़ ़ ़आे सब त’ हम
आन लाेक में बाॅटि देलियै़ ़ ़ मुदा इर् ़़़ ़सूटक कपङा हमरा बङ पसिन्न ़ ़ ़ एकर
हम अपने सीएब भायजी के विवाह में ़़ ़ ़ ़।’ ‘मुदा कनि खाेलि क’ देखैबतीए नै ़़ ़ ़।’ छाेटकी बहिन कनि अङए लगलीह ़़ ़त कनि खाैंझैत बजलाह ़़ ़ ‘गै छाैङी ़ ़ ़
एक बेर आेकर पैकिंग खुलि जेतैए त’ फेर सॅ चपेत मे आेकर तह टुटि जाइर्त छै ़़ ़ आ’ कपङा दुइर्र भ’ जाय छै ़़ ़ टेलर बदमासी करय लागै छै तखन ़ ़ ़ बुझली दाय ़़ ।’़ ़ ़ ़ ‘मुदा जखन अहाॅ एकर पैकेट खाेलबे नहि केलियै त’ बुझलियै काेना ़ ़ ़जे सूटे के कपङा छै ़ ़ ़।’़ ़ ‘ गै ़़ ़ ताेरा जकाॅ मूरूख छी ़ ़ ़ ़।उङैत चिङि के पाॅखि चिन्ह वला हम ़ ़ ़ ।पन्नी के नीचा सॅ ऊज्जर देखाय छल ़़ ़ बूझि गेलियै़ ़ ़।’
‘ंंंंंमुदा इर् काेना बुझलिए जे सुटे के कपङा छैक ।धाेतियाे भ सकैत छै आे कहलक की़़़़़ ़ ़।’ बहिनाे कम नै छलीह।
‘गै भकलाेल ़़ ़ आे की कहत हमरा़ ़ ़ हम अपने नहि बूझबै़ ़ ़ धाेती के
कपङा आ’ सुटक कपङा में भेद छै से हम नै जनबै ़़ ़ ़।अहिना लाेक
वेद हमरा आगाॅ पाॅछा बूलैत टहलैत रहैत छै ़़ ़ ।’
भायजी के विवाह तय भ’ गेलन्हि ।बाबूजी माॅ सब धिया पुत्ता
के ल’ क’ बाजार गेलाह ़़़़़़ ़़ ़पसिन्नक कपङा खरीदबाबै लै ़़ ़ ्र
बनराघाटवाला आेझा आ’ वेदान्त पहिने निकलि काेनेा काेनाे
आआेर काज सॅ किराे मिराे सावक दाेकान गेल छलथि ।जखन हजमा चाैराहा लग गामक रिक्सा वाला पहूचलै ़़़त’
बाबूजी माॅ के कहलथि “वेदान्त के सेहाे बजा लैतियै ़ ़ ़ ़आेहाे
अपन पसिन्नक कपङा खरीद लैतै़़़़ ़़ ़दस दिन बाॅचल छै ़़ ़
अहि बेर त धमगज्जरि लगन छै ़़ ़दरजीबा देबाे करतै की
नै कपङा सब ़़। ‘” माॅ कहलखिन्ह ‘वेदान्त लग बङ दीव सूटक
कपङा छै ़ ़़ आेकरा कियेा गिफ्ट देने छलैक ़ ़ ़ ़आे त वएह
रखने अछि भायजी के विवाह मे पहिरय लेल ़़।’ ताबैत धरि
पाछाॅ वाला रिक्सा दुनु सेहाे लग आबि गेलय ़़ आ’ सुनील बबलू
दुनु भाय सेहाे उतरिक बाबूजीक ल’ग आबि गेलाह ‘हजमा चाैराहा
त’ आबि गेलय आब किम्हऱ’ । ़ ‘बनारसी के दाेकान चलए।’
‘बेस’ ।आ आे दूनू अपन रिक्सा प बैस थाेलबा के कहलथि
‘आगाॅ वाला रिक्सा के पाछाॅ बढ’।
सब गाेटे अपन पसिन्नक वस्त्र कीनि दरजीबा के नाप दइर्त
गाम अयलाह ़ता धरि वेदान्त आ बनरा घाट वाला आेझा गाम नै पहुॅचल छलाह ।बाबूजी के चिन्ता भेलनि ़ ़ ़ त’माॅबजलीह ‘बेदुआ के बाट घाट नै बूझल छै की ़़ ़आए नै त काल्हि जा क’ दरजीबा के कपङा के नाप द देतैक ़़ ़ राेज राेज त बजार अखन जाइर्ए पङै छैक।’ तखने वेदान्त
आ आेझा अपन सायकिल घरक दू मुहाॅ मे ठाढ केलन्हि ़ ़ ़।
“बाैआ ़़ ़बाबूजी कहै छलखुन्ह दरजीबा के कपङा कहिया देबहक़ ़ ़ ़’।
ंमाॅ अपन मुॅह फाेलबे केलथि कि बजला ‘गै हमर भक्त अछि दरजीबा ़़ ़ ़एक दिन मे नहि एक घ्ंाटा मे सीब क’हमरा द’ देत ।तू आन काजक आेरियान कर ़़ ़ ।हॅ़़़़ ़ किछु खेनाय दे बङ भूख लागल अछि ़़ ़इर् बज्र देहाती बनराघाट बला संगे कि गेलहुॅ ‘काेल्ड ड्रींक’ सेहाे धरि नहि पीबए देलाह ़ ़ ़ ‘अहि मे की दन हाेइर्त छैक ़ ़ ़ महींसमाङ ़़ ़ ़ ़ ़ ़आ’ आेझा के खाैझाबैत़ ़ ़ ़हॅस्सी ठठा करैत ़़़़़़़़़ ़़ ़ दूनू खाय लेल बैसला़ ़ ़ ़ ़ ़।आेहि समय मलाहिन माछक छीटा नेने आॅगन मे पैुसल छल ।वेदान्त के देखि आेकर मुॅह प’ प्रसन्नताक’ लहरि दाैङि गेलए ़ ‘कहिया अलखिन बैाआ ़ ़ ़ ़
बाैआ माछक बङ साैकीऩ ़नेने सॅ ़ ़ ़माछक टाेकरीए नेने पङा गेल छलखीन कएक बेर नेना मे ।लाेक वेद खिहारि क’ हुनका सॅ टाेकरी छीने हल्ले ।’आे अनेरे बाजय
लागल छल । ‘गै ताेहरि माछ सब नीके छाै नै ़ ़ ़’ ।माछक मतलब मलाहिनक धीया
पुत्ता़ ़ ़ ़।’आ’ मलाहिन नूआ सॅ मूॅह छॅापि हॅसैत बाजल ‘बाैआ एखनाे ठठ्ठा करैत
हथीन ़़ ़ ़बदललखिन नै कनियाे ।डिल्ली में नाैकरी करैत छथिन्ह तैयाे नहि ़ ़ ़।’
इम्हर माछ तराइत रहल ़़़़़़। वेदान्त अपन बकलेलहा हरकति
सॅ आेझा ़़़पीऊसा ़़़़़़भाउज ़ ़ ़ ़बहिन सबहक मनाेरंजन करैत करैत तरल माछ खाइत
रहला ़ ़ ़।कनिए बेरक बाद सब पुरूषपात उठि क’ दलान प चलि गेलाह ़़ ़ ़ । घर मे हुनक अनेकाे खिस्सा के दाेहराबैत तैहराबैत स्त्रीगण सब लाेट पाेट हाेइत रहली़।
बङकी भाैजी बजली ‘हम एक बेर नैहर मे रही त माॅजी मटकूङीमें बङ विशेख दही पाैरि क’ हिनका हाथे पठाैलन्ह़ि ़ ़।इर् सायकीलक पाॅछा में मटकूङी राखि हमर
घरक दरवज्जा लग आबि ततेक जाेर सॅ सायकिल के स्टैंड प’ ठाढ केलखिन्ह ़ ़ कि
सायकील दही के मटकूङी के उपर खसलै ़़ ़ आ दही समेत मटकूङी के टूकङी
टूकङी उङि गेलय ़ ़ ़बाॅचल दही आेहि ठाम जमीन प पसैर गेलय ़़ ़ ़ ़ ।’
दाेसर भाैजी बजली ‘ंमुनु जखन छाै मास के छलै ़़ ़हमसब दरभंगा डेरा प
छलाैं ़ ़़ ़ ़ बङ जाेर सॅ आेकरा कान मे दरदि उठलै ़़ ़ ़ भरि राति आे कनैत रहलै़ ़ ़ ़
भिनसरे हिनका ल’ क” हम डाक्टर लग गेलहुॅ ़ ़ ़ ़कम्पाउंडर नाम पूछलकन्हि त
अपन नाम लिखैलकिन्ह ़ ़़ ़आ” जखन उमरि पुछलकैन्ह त’ मुनु के लिखा चुपचाप
हमरा बगलि में आबि बैसला ़़ ़ ़ ़कनिए काल में कंपाउंडर बजाैलकैन्ह ़ ़ ‘वेदान्त ़ ़ ़
उमरि छाै मास ़़ ़ ।’जखन हम पूछलियैन्ह ़ ़ त’ कहलैन्ह ‘हमरा भेल हमर नाम
पूछैत अछि ़़ ़ आ’ जखन उमरि पुछलकैन्ह त लागल जे बच्चा के पूछि रहल अछि ़।’हम कहलियै जे तखनाे अहाॅ अपन नाम काटि क’ बच्चा के नाम किएक नहि
लिखबा देलियै ।’त कहैथ छथि ‘नाम सॅ कि कानक दर्द बदलि जेतैक ।’
बङकी बहिन बजली ‘एक बेर इर् घर सॅ सेहाे भागल छथ़ि ़ ़ ़पढाइर् लिखाइर्
में माेन नहि लागैन्ह ़़ ़ ़ ़ बाबूजी डाॅटलखिन्ह त’ चुपचाप भाेरे भाेर पङा गेला ़़ ।
दुपहरिया मे मुजफ्फरपुर सॅ फाेन करैत छथि ‘बाबूजी हम घर सॅ पङा गेल छी ।’
बाबूजी पुछलन्हि ‘पङा क’ जेबए कत्तए़ ़ ़ ़।’त कहलन्हि ‘जत्तय भाेला बाबा ल’
जाइर्थ ।’ ‘बेस़ ़ ़ ़ अखन कत्तय छ ़़ ।’ ‘एखन हम मुजफरपुर मे छी ़़़ ़ ़ ।’
‘अच्छा काेनाे गप नै ़़ ़ ़ ़अखन भाेलेबाबा कहैत छथुन जे घर आबि जा ़ ़़ ़तेकरा
बाद देखल जेतै ।’ आ” आे सांझ धरि घर आबि गेल छलाह ।’
अहि गप्प सप्प क सूत्रधार मॅझिली बहिन बङ वियापक भ बजलीह ‘दीदी़ ़ ़ ़चारि पाॅच बरक पहिने
जे आेझाजी अपन दुरगमनियाॅ माेटर सायकिल छाेङि देने छलखिन अहिठाम ़ ़ ़
आेकरा इर् खूब चलेलथि ़ ़ ।एक बेर काेनाे काज रहै ़़ ़ भरिसक शंभू के मूङन रहै़ ़ ़ इर् तीन चारि बच्चा के माेटरसायकिल प’ बैसा गाम में घूमए निकलला ़ ़ ़ ततेक
तेजी सॅ माेटरसायकिल चलैलखिन्ह जे एकटा बच्चा अहि खेत में दाेसर आेय खेत में ़ ़़ तेसर हिनकर पीठ पकङने चिकरए लागल़ ़ ़ ़रस्ता पेङा जाइर्त लाेक बच्चा दुनु के
उठाक घर पहुॅचेलकै ़़ ़ ़ आे त’ जाेतलाहा खेत छलै ़़ ़ ़ ़नै ़़त़ ़ ़ पूछू नह़ि ़ ़ ़ ़ ़।’
ताबैत वेदान्त खाय लेल आबि गेल छलाह ़ ़ ़ आेझाजी सॅ बाजि लगबैत बजलाह ‘पाॅच साै के बाजी राखू़ ़ ़ ़ हम सब टा माछभात खा जायब ।’ आेझाजी
हॅसला ‘ आै ंमहाराज़ ़ ़ ़ ़ सबटा माछभात जे खा जेबए त हमसब की खेबै़ ़ ़ ़ । आ’ ऊपरि सॅ पाॅच साै टाका सेहाे दिय ़़ ़ ़ हमरा कंगाल बनाव के विचार अछि की़ ।’
“बाैआ ़़ ़काल्हि भायजी के सेहाे नाप दिया दहुन ़़ ़ ।आे आय रतुका गाङी
सॅ आबि रहल छथुन्ह ़ ़ ़ ़सिल्कक कुरता के एक टा कपङा छै राखल घर में ़़ ़ ।’माॅ अपन दुनियाभरि के चिन्ता परगट करैत रहलीह ।
भिनसरे खा पीबि क़ ़ ़वेदान्त ़आेझाजी ़़़आ’ भायजी बजार दिस निकलए
लगलाह ़ ़ ़त आेसारा मे राखल चाैकी प’ बैसल माॅ कनिया के सब गहना देखैत
बजलीह ‘जा ़़ ़ कनिया के पाजेब त’ एबे नहि केलए बाैआ राै ़़ ़ ।’ त वेदान्त
हुनका आश्वासन दैत बजलाह ‘जे सब बचलाहा काज छाै हमरा माेन पाङैत रहियै ़़ ़हम आनि देबाै ़ ़ ।’ छाेटकी बहिन के अपन माेबाइर्ल नंबर लिखाक कहलखिन्ह ़ ़ ‘जाै आर किछू मॅगबावके हेताै त फाेन करि दिहै ़ ़ ़ ।’
भायजी के मूॅह प’ जेना सूरूजक लाली आबि गेल छलैन ़ ़लाल टरेस़ ़ ़
सदिखन मुुूस्कैत़़ ़ ़़ ़ जेना अहि ब्रम्हांड मे आे प्रथम पुरूष थिकाह ़ ़ जिनकर विवाह
हाेमए जा रहल अछि ।दूनू हाथ आगाॅ मे एक दाेसर सॅ सटाैने ़़ ़ ़ मुस्कैत दरजी लग ठाढ ़़़़़ ़़ ़ ़कुरता के नाप ़़ ़ ।वेदान्त आ’ आेझाजी कनि फराक सॅ भायजी के प्रसन्नता के आनंद उठबैत ठाढ़ ़ ़ ।भायजी मुस्कैत दरजी के कहलखिन्ह ‘हमर
विवाह कलक्टर साहेबक कन्या सॅ भ’ रहल अछि ।कुरता कनि नीक सॅ सीबियह़।’
गाम प आबिते मातर आेझाजी अहि बात क बिराेर् उङा देलन्ह़ि ़। ‘ भायजी
दरजीबा के काेना मुस्का मुस्का क’कहैत छलखिन्ह।’ घरे मे लाेक ठट्टा करए लगलैन्ह ‘कहै छलैथि जे विवाहे नहि करब संत रहब आ’ देसक समाजक सेबा करब ़ ़़ आ” विवाह भेबाे नहि केलन्हि ससुरक पदवी बङ साेहाेन लागए लगलैन्ह।’
मुदा भायजी के काेनेा गत्तरि मे जेना आब लाज धाक नहि बाॅचल छल ़ ़ ़ आे पलथा खसाैने आेहिना मुस्कैत बैसल छलाह ़़़।
सब काजक आेरियाैन भ’ गेल ।कनिया के नूआ फट्टा लहठी सिंनुर सब डाला
में राखि भगवति आगाॅ पङि गेल ।काल्हि हथधरी वला सब आबि रहल छथि ़ ़मुदा ़ एखन धरि वेदान्त अपन कपङा दरजी के नहि देलाह ।
जखन सब एक दिस सॅ ठाढ भ’ गेलए कि ‘पुरने कपङा पहिर क’ बरियाती
में जायब’।तखन आेझा के ल’ क’ आे अपन सूट सियाबए दरजी लग पहुॅचलाह ़ ़ ।
“भाय ़़ ़ जल्दी सॅ सूट तैयार करि के राखह ़़ ़ ़ आय सांझ क’ द दिह ़़ ़ काल्हि
बराती जेबाक अछि ़ ।” दरजीबा ‘हॅ सर ़ ़ ़ एकदम ़़ ़ किएक नै” कहैत हुनकर
पूरा शरीरक नाप लेला के बाद वस्त्र क’ पैकेट खाेललक ।
“इर् की सर ़ ़ ़ ़एक टा डबल बेडक चादरि आ’ दू टा गेरूआ के खाेल ।” आेझाजी के हॅसी तेहेन अनार ़़़़़़ ़़़छुरछुरी़ ़ ़ ़ जकाॅ फुटलै ़़ ़ ़ जे बंद हेबाक नामे
नहि लइत छल ।दरजीबा सेहाे हॅसय लगलै ़ ़ ़ ़आ’ वेदान्त क’ मूॅह देखबा जाेगर छल ़़ ़ ़ ़ ।
कामिनी कामायनी
23।4।09
1
vidhu kanta mishra said...
satishjee, manoram rachana lel badhai. - Vidhukanta Mishra Prayag
Reply05/11/2009 at 12:49 PM
2
Vidhu Kanta Mishra said...
kaninijee katha adbhut aich. ahina likhait rahoo - Vidhukanta mishra , Prayag
Reply05/11/2009 at 12:42 PM
3
Preeti said...
Kamini Jik katha bad nik lagal
Reply05/05/2009 at 06:02 PM
4
Neelima Chaudhary said...
kamini jik sootak kapra te bad nik rahal, muda manoj jik pratirodh dekhan me chhotan aa ghav gambhir bala achhi
Reply05/04/2009 at 10:33 PM
5
aum said...
kamini aa manoj ji dunu gotek katha bad nik lagal
Reply05/04/2009 at 08:34 PM
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