भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c) २०००-२०२२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.html , http://www.geocities.com/ggajendra   आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha   258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै। इंटरनेटपर मैथिलीक पहिल उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि, जे http://www.videha.co.in/   पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

 

(c)२०००-२०२२. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। सह-सम्पादक: डॉ उमेश मंडल। सहायक सम्पादक: राम वि‍लास साहु, नन्द विलास राय, सन्दीप कुमार साफी आ मुन्नाजी (मनोज कुमार कर्ण)। सम्पादक- नाटक-रंगमंच-चलचित्र- बेचन ठाकुर। सम्पादक- सूचना-सम्पर्क-समाद- पूनम मंडल। सम्पादक -स्त्री कोना- इरा मल्लिक।

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विदेह: वर्ष:2::मास:17::अंक:33- part VI

उपन्यास

-कुसुम ठाकुर

प्रत्यावर्तन - (तेसर खेप)

आय भोरे बाबुजी असगर चलि गेलाह। माँ कs मोन नहि मानलन्हि जे ओ हमरा कानैत छोरि कsजैतथि। बाबुजी कs गेलाक बाद हमरा बड अफसोस होयत छलs जे माँ के हमरा चलते रहय परि गेलैन्ह, आ आब बच्चा सब के लs असगर जाय परतैन्ह।

कालेज जयबाक खुशी एतबे दिन मे समाप्त भs गेल, कियाक से नहि जानि। कालेज जाइ अवश्य मुदा जेना कतो आओर हेरायल रहैत छलहुँ।घर आबि तs घर मे सेहो एकदम चुप चाप जा अपन कोठरी मे परि रहैत रही। माँ सब सोचथि हम थाकि जायत होयब आ सुतल छी, मुदा हम घंटो ओहिना परल रहैत रही। हमरा अपनहु आश्चर्य होयत छलs। स्कूल गेनाई तs हम मोन खराब मे सेहो नहि छोरैत रही , फेर हमरा एहि तरहे कियाक भेल जा रहल छलs। काल्हि बाबुजी चलि गेलाह से आओर घर सुन लागैत छलैक ताहि पर कालेज जयबाक से मोन नहि होयत छलs। कहुना कालेज तs गेलहुँ मुदा ओहियो ठाम नीक नहि लागल।कालेज सs आपस अयलाक कs बाद नहि जानि मोन जेना बेचैन लागैत छलs। हमरा बुझय मे नहि अबैत छल जे एहि तरहे कियाक भsरहल अछि। जहिना हाथ पैर धो कs अयलहुं मौसी (जे की हमर काकी सेहो छथि) जलखई लss ठाढ रहथि आ हमरा आगूक जलखई दैत बजलीह जल्दी सs पहिने जलखई कs लिय। अहाँ सब दिन बहाना कs दैत छियैक जे भूख नहि अछि एतबहि दिन मे केहेन दुब्बर भs गेल छी। नीक सs खाऊ पिबू नहि तs ठाकुर जी अओताह तs कहताह एतबहि दिन मे सब हमर कनियाँ के दुब्बर कs देलैथ। ठाकुर जी नाम सुनतहि नहि जानि कतय सs हमरा मुँह पर मुस्की आबि गेल। बुझि परल जेना फूर्ति आबि गेल हो। मौसी के एकटा नीक मौका भेंट गेलैंह आ ओ तुंरत माँ के बजा कहय लागलिह "हे बहिन, अहाँ तs किछु नय बुझैत छियैक, कुसुम थाकय ताकय किछु नय छथि रोज तीन चारि बेर ठाकुर जी कs नाम लs नय लेल करू, सब ठीक रहतैक"। आब हमरा कोनो दोसर उपाय नहि बुझाइत छल, हम बिना किछु बजने चुप चाप मौसी के हाथ सs जलखई लsलेलियैन्ह।

सब राति हम आ काका विविध भारतिक हवा महल अवश्य सुनैत रही। हमरा दुनु गोटे कs इ कार्यक्रम बड पसीन छलs। सब सुति रहथि मुदा हम दुनु गोटे हवा महल के बाद सुतय लेल जाइत रही। हमरा कतबो पढाई कियाक नहि हो सब दिन काका हमरा हवा महल काल अवश्य बजा लेत छलाह। आइयो हवा महल जहिना शुरू भेलैक मधु के भेजि कs हमरा बजा पठेलथि। हवा महल सुनलाक बाद हम अपन कोठरी मे सुतय लेल चलि गेलहुँ आ काका अपन कोठरी मे।

जहिना इ कहने रहथि, तहिना सब दिन हिनकर चिट्ठी आबैन्ह आ ओकर जवाब सब दिन राति मे सुतय काल लिखय चाहि मुदा हिनका हम की सम्बोधन कs चिट्ठी लिखियैन्ह इ हमरा बुझय मे नहि आबति छलs आ हम पुछबो किनका सs करितहुँ । हम अपन पहिल चिट्ठी जे हिनका बौआ सँग मुजफ्फरपुर पठौने रहियैन्ह ताहू दिन सोचैत- सोचैत जखैन्ह किछु नय फुरायल छलs s हम हिनका "ठाकुर जी" सम्बोधन कs चिट्ठी लिखि पठा देने रहियैन्ह। ओ चिट्ठी पता नहि कोना , हिनकर कोनो दोस्त देख लेने रहथि आ हिनका कहि देने रहथिन्ह जे अहाँक सारि चिट्ठी बड सुन्दर लिखति छथि।इ ओकर चर्च हमरा लग हँसैत हँसैत कयने रहथि। हमरा ओहि दिन अपना पर तामस अवश्य भेल छलs मुदा हमरा बुझले नय छलs जे लोग की संबोधन कs घरवाला के चिट्ठी लिखैत छैक। आब तs "ठाकुर जी "सम्बोधन कs सेहो नहि लिखि सकैत छलहुँ । जखैन्ह हम सुतय लेल अयलहुं तs इ सोचिये कs आयल छलहुँ जे, किछु भs जाय आइ हम चिट्ठी लिखबे करबैन्ह।हमरा अपने बहुत खराप लागैत छलs जे हम एकोटा चिट्ठिक जवाब नहि देने रहियैन्ह। बहुत सोचलाक बाद जखैन्ह हमरा सम्बोधनक कोनो शब्द नहि फुरायल तs हम ओहि भाग कs छोरि चिठ्ठी लिखय लगलहुँ । चिट्ठी मे कैयाक ठाम हम लिखिये जे हमरा मोन नहि लागति अछि जल्दी चलि आऊ मुदा ओ फेर हम काटि दियय । खैर बिना सम्बोधन वाला चिट्ठी लिखि कs हम एकटा किताब मे इ सोचि कs राखि देलियैक जे भोर तक किछु नय किछु फुरा जयबे करत। तखैन्ह ओ लिखि कsकालेज जाय काल खसा देबैक। पोस्ट फिस हमर घरक बगल मे छलैक।

चिट्ठी लिखलाक बाद हम सोचलहुँ सुति रही मुदा कथि लेल नींद होयत। बी काल तक बिछौना पर परल परल जखैन्ह नींद नहि आयल तs उठि कs पानि पीबि लेलहुँ आ फेर बिछौना पर परि कs हिनकर देल किताब "साहब बीबी और गुलाम पढय" लगलहुँ । दू चारि पन्ना पढलाक बाद किताबो सs मोन उचटि गेल आ जओं घडी दिस नजरि गेल तs देखलियैक भोर के चारि बाजति छलs। सोचलहुँ आब की सुतब, जाइत छी चिट्ठी पूरा कs तैयार भs जायब। इ सोचि जहिना उठि कs कलम हाथ मे लेलहुँ कि बुझायल जे कियो केबार खट खटा रहल छथि। हमरा मोन मे जेना एक बेर आयल कहीं इ तs नहि अयलाह। हम जल्दी सs आगू बढि कs जहिना केबार खोलति छी तs ठीके इ एकटा बैग लेने ठाढ छलथि। हम किछु क्षण ओहिना ठाढs हिनकर मुँह ताकैत रही गेलहुँ अचानक मोन परल आ हिनका सs बिना किछु पूछने वा कहने ओहि ठाम स तुरन्त भागि गेलहुँ । ता धरि काका के छी करैत ओहि ठाम पहुँच गेलाह आ हमरा भागैत देखि पुछलथि" के छथि"?हम बिना किछु कहने ओहि ठाम सs भागि अपन कोठरी मे जा बैसि गेलहुँ। काका हिनका देखैत देरी अ हा हा ... ठाकुर जी आयल जाओ बैसल जाओ कहैत हिनका घर मे बैसा तुरंत ओहि ठाम सsजोर जोर सs भौजी भौजी करैत भीतर आबि सब के उठा देलथि। थोरबहि काल मे भरि घरक लोग उठि गेलथि। तुरंत मे चाह पानि सबहक ओरिओन होमय लागल। राँची मे तs हमर पितिऔत चारि भाई बहिन सेहो रहथि। जाहि महक तीन गोटे हिनका देखनेहो नहि रहथि, मधु टा विवाह मे छलिह। सब हिनका देखय लेल जमा भs जाय गेलथि। मौसी सs सेहो हिनका पहिल बेर भेंट भेल छलैन्ह। विवाह मे मौसी नहि रहथि नीलू दीदी कs विवाह के बाद सोनूक (छोटका बेटा) मोन खराप भs गेल छलैन्ह आ काका मौसी, सोनू, निक्की आ पप्पू के राँची छोरि आयल छलथि। हुनका एतबो समय नहि भेंटलैन्ह जे मौसी के फेर अनतथि।

हम अपन कोठरी मे चुप चाप बैसल रही, रतुका बेचैनी आब नहि छलs मुदा हमरा किछु नहि बुझाइत छलs जे हम की करी। इ सोचैत रही जे कालेज जाइ या नहि, जयबाक मोन तs नहि होयत छलs, ताबैत मौसी हमरा कोठरी मे कुसुम कुसुम करैत हाथ मे चाह लेने घुसलीह। हमरा देखैत कहय लगलीह "अहाँ अहिना बैसल छी, जल्दी सs चाह पीबि लिय आ तैयार भs जाऊ। हमरा इ सुनतहि बड तामस भेल, हमरा मोन मे भेल कहू तs इ अखैन्हे अयलाह अछि आ मौसी हमरा कालेज जाय लेल कहैत छथि हम धीरे सs कहलियैन्ह हमर माथ बड जोर सs दुखायत अछि। इ सुनतहि मौसी के मुँह पर मुस्की आबि गेलैन्ह आ कहलथि तैयार भs जाऊ मोन अपनहि ठीक भs जायत, आ आय कालेज नहि जयबाक अछि। इ सुनतहि हमरा भीतर सs खुशी भेल,बुझायल जेना हम यैह तs चाहैत रही, जे कियो हमरा कहथि अहाँ कालेज नहि जाऊ। हम जल्दी सs चाह पीबि तैयार होमय लेल चलि गेलहुँ।

ओना तs हमरा तैयार हेबा मे बड समय लागैत छलs मुदा ओहि दिन जल्दी जल्दी तैयार भsगेलहुँ। अपन कोठरी मे पहुँचलहुं तs मौसी हमरे कोठरी मे रहथि आ किछु ठीक करैत छलिह। हमरा देखैत बाजि उठलिह "बाह आय तs अहाँ बड फुर्ती सs तैयार भs गेलहुँ, आब माथक दर्द कम भेल"? हम हुनका दिस देखबो नही केलियैन्ह आ दोसर दिस मुँह घुमेनहि हाँ कही देलियैन्ह।

काका के विवाहे बेर सs हिनका सँग खूब गप्प होयत छलैन्ह। हमर काका बड निक आ हंसमुख व्यक्ति, ओ हिनका सs कखनहु कखनहु कs हँसी सेहो कs लेत छलाह। हिनको काका सs गप्प करय मे बड नीक लागैत छलैन्ह। हम तैयार भs s पहुँचलहुं ता धरि ओ सब गप्प करिते छलाह। मौसी हमरे कोठरी सs काका के सोर पारि हुनका सs कहलथि" ठाकुर जी कs तैयार होमय लेल कहियोक नहि, थाकल होयताह "।किछुए कालक बाद इ हमर वाला कोठरी मे अयलाह,हम चुप चाप ओहि ठाम बैसल रही। हिनका देखैत देरी हमरा की फुरायल नहि जानि झट दय गोर लागि लेलियैन्ह।गोर लगलाक बाद हम चुप चाप फेर आबि कs बैसि रहलियैक। मोन मे पचास तरहक प्रश्न उठैत छल।इहो आबि कs हमरा लग बैसि रहलाह आ पुछ्लाह अहाँ कानैत कियाक रही, आ हमरा देखि कs आजु भागि कियाक गेलहुँ। अहाँक बाबुजी जखैन्ह सs इ कहलाह जे अहाँ कs कनबाक चलते माँ रही गेलीह, आ आब एक मास बाद जयतीह, तखैन्ह सs हमरो मोन बेचैन छलs। अहाँ के बाबुजी के गाडी मे बैसा सीधे हस्टल गेलहुँ आ ओहिठाम मात्र कपडा लs जे पहिल बस भेंटल ओहि सs सीधा आबि रहल छी। हिनकर इ गप्प सुनतहि हमर आँखि डबडबा गेल। हमरा अपनहु इ नहि बुझल छलs जे हम कियाक भागल रही आ नहि इ, जे हमरा कियाक कना जायत छल।

साँझ मे हम चाह लs s जखैन्ह घर मे घुसलहुं तs इ आराम करैत छलाह मुदा हमरा देखैत देरी उठि कs केबार बंद कs लेलथि आ हमरा लग आबि बैसैत कहलाह "अहाँ सs हमरा किछु आवश्यक गप्प करबाक अछि"। हम किछु बजलियैन्ह नहि मुदा मोन मे पचास तरहक प्रश्न उठैत छलs। चाह पीबि कप राखैत कहलाह "अहाँ सच मे बड सुध छी, अहाँ हमर बुची दाई छी"। हम तखनहु किछु नहि बुझलियैन्ह आ नय किछु बजलियैन्ह, मोने मोन सोचलहुं इ बुची दाई के छथि। हम सोचिते रही जे हिनका सs पुछैत छियैन्ह, इ बुची दाई के छथि ताबैत धरि इ उठि कs एकटा कागज लs हमरा लग बैसि रहलाह। हमरा सs पुछलाह हरिमोहन झा कs नाम सुनने छी? हम सीधे मुडी हिला कs नहि कहि देलियैन्ह, ठीके हमरा नहि बुझल छलs। ठीक छैक हम अहाँ के बुची दाई आ हरी मोहन झाक विषय मे दोसर दिन बतायब। पहिने इ कहू, अहाँ के तs हमरा देखि कs खुशी आ आशचर्य दूनू भेल होयत। हिनका देखि कs हमरा खुशी आ आश्चर्य तs ठीके भेल छलs मुदा हिनका कोना कहितियैन्ह हमरा कहय मे लाज होयत छलs, तथापि पुछि देलथि तs मुडी हिला कs हाँ कहि देलियैन्ह। इ अपन हाथ महक काग हमरा दिस आगू करैत कहलाह, इ अहाँ के लेल हम किछु सम्बोधानक शब्द लिखने छी, अहाँ के अहि मे सs जे नीक लागय वा अहाँ जे संबोधन करय चाहि लिखी सकैत छी, मुदा आब चिट्ठी अवश्य लिखब। कोनो तरहक लाज, संकोच करबाक आवश्यकता नहि अछि। बादक गप्प के कहय हम तs इ सुनतहि लाज सs गरि गेलहुँ। हम सोचय लगलहुं हिनका हमर मोनक सबटा गप्प कोना बुझल भs जायत छैन्ह। थोरबे काल बाद इ हमरा अपनहि कहय लगलाह हम अहाँक किताब देखैत छलहुँ तs ओहि मे सs हमरा ओ चिट्ठी भेटल जे अहाँ हमरा लिखने छलहुँ। ओहि मे अहाँ हमरा संबोधन तs नहि कयने छी मुदा ओ हमरे लेल लिखल गेल अछि से हम बुझि गेलहुँ। कोनो कारण वश अहाँ नहि पठा सकल होयब इ सोचि हम पढि लेलहुँ। पढला पर दू टा बात बुझय मे आयल, पहिल इ जे अहाँक मोन एकदम सुध आ निश्छल अछि, आ दोसर इ जे अहाँ मोन सs चाहैत छलहुँ जे हम आबि, आ देखू हम पहुँची गेलहुँ। अहाँ हमरा चिट्ठी एहि द्वारे नहि लिखी पाबैत छी नय जे अहाँ के सम्बोधनक शब्द नहि बुझल अछि,कोनो बात नहि।एहि मे लाजक कोनो बात नहि छैक, अहाँ के जे किछु बुझय मे नहि आबय आजु सs ओ अहाँ हमरा सs बिना संकोच कयने पुछि सकैत छी। ओहि दिन नहि जानि कियाक, हमरा बुझायल जे बेकारे लोक के घर वाला सs डर होयत छैक। पहिल बेर हुनक जीवन मे हमर महत्व आ स्थान केर आभास भेल आ हमरा मोन मे संकोचक जे देबार छलs से ओहि दिन पूर्ण रूपेण हटि गेल। नहि जानि कियाक, बुझायल जेना एहि दुनिया मे हमरा सब सs बेसी बुझय वाला व्यक्ति भेंट गेलैथ।

जाहि दिन हमर विवाह भेल छलs ओहि समय हमर बडकी दियादिन केर सेहो द्विरागमन नहि भेल छलैन्ह। आ ओ राँची अपन नैहर मे छलिह। दोसर दिन साँझ मे इ कहलाह जे काल्हि भौजी सsभेंट करय लेल जयबाक अछि आ ओकर बाद परसु मुजफ्फरपुर चलि जायब। आजु चलु राँची(राँची केर मुख्य बाार मेन रोड के लोग राँची कहैत छैक) दुनु गोटे घूमि कs अबैत छी। बरसातक मास आ बादल सेहो लागल छलैक तथापि हम सब निकलि गेलहुँ। रिक्शा किछुएक दूर आगू गेला पर भेंट गेल। घर सs मेन रोड जयबा मे करीब आधा घंटा लागैत छलैक। हम सब आगू बढलहुं ओकर १५ मिनट केर बाद सs पानि भेनाइ आरम्भ भs गेलैक। विष्णु सिनेमा हल सs किछु पहिनहि हम दूनू गोटे पूरा भीजि गेलहुँ। सिनेमा हल लग पहुँची इ कहलाह, भीजि गयबे केलहुं,चलू सिनेमा देखि लैत छी तs आपस घर जायब, कपा सिनेमा हल मे सुखा जायत।

राति मे अचानक माथक दर्द आ प्यास सs नींद खुजि गेल, बुझायल जेना हमर देह सेहो गरम अछि। उठि कs पानि पीबि फेर सुति गेलहुँ। भोर मे मोन ठीक नहि लागैत छलs मुदा हम किनको सs किछु कहलियैन्ह नहि, भेल कहबैक तs बेकार मे सब के चिंता भs जयतैन्ह। मोन बेसी खराब लागल तs जा कs सुति रहलहुं। जखैन्ह आँखि खुजल तs देखैत छी डाक्टर हमरा सोंझा मे अपन आला लेने ठाढ छलथि। हमरा ततेक बुखार छल जे चादरि ओढने रही तथापि कांपति छलहुँ।डाक्टर की कहलैथ से हम किछु नहि बुझलियैक। हमरा थोर बहुत बुझय मे आयल जे कियो हमर तरवा सहराबति छलथि, आ कियो गोटे पानिक पट्टी दs रहल छलथि , मुदा हम बुखारक चलते आँखि नहि खोलि पाबति छलहुँ, हम बुखार मे करीब करीब बेहोश रही। जखैन्ह हमरा होश आयल आ आँखि खुजल तs प्यास सs हमर ओठ सुखायत छल, मुदा साहस नहि छलs जे उठि कs पानी पिबतहुं। जहिना करवट बदललहुं तs हिनका पर नजरि गेल। हिनका हाथ मे एकटा रुमाल छलैन्ह आ बिना तकिया सुतल छलथि। हमरा इ बुझैत देरी नहि भेल जे इ हमरा रुमाल सs पट्टी दैत दैत सुति रहल रहथि। हमरा हिम्मत तs नहि छल तथापि हम चुप चाप उठि जहिना हिनकर माथ तर तकिया देबय चाहलियय इ उठि गेलाह। हमरा बैसल देखि तुंरत कहि उठलाह अहाँ कियाक उठलहुं अहाँ परल रहु। इ सुनतहि हम फेर तुंरत परि रहलहुं।

भोर मे उठलहुं त कमजोरी तs छलs मुदा बुखार बेसी नहि छल। मौसी सs पता चलल जे चाय पिबय के लेल जखैन्ह मधु उठाबय गेलीह तs हम बुखार सs बेहोश रही। इ देखि तुंरत डाक्टर के बजायल गेलैक। डाक्टर के गेलाक बाद बड राति तक माँ आ इ दूनू गोटे बैसल रहथि आ ठंढा पानी सs पट्टी दs बुखार उतारबाक प्रयास मे लागल रहथि। माँ के बाद मे इ सुतय लेल पठा देलथि आ अपने भरि राति जागल रहथि कियाक तs बुखार कम भेलाक बादो हम नींद मे बड बड करैत छलियैक। दोसर दिन सs हमर बुखार कम होमय लागल मुदा हमरा पूर्ण रूप सs ठीक होयबा मे एक सप्ताह लागि गेल। हिनका कतबो कहलियैन अहाँ चलि जाऊ, क्लास छूटैत अछि मुदा इ कहलाह, अहाँ ठीक भs जाऊ तखैन्ह हम जायब।

एक सप्ताह इ कतहु नहि गेलाह हमरे कोठरी मे बैसि कs अपन पढाई करथि। साँझ मे काका लग बैसि कs खूब गप्प होयत छलैन्ह। ओहि एक सप्ताह मे काका सेहो हिनका सs बहुत प्रभावित भsगेलथि आ इहो काका के स्वभाव सs परिचित भेलाह। साँझ मे परिचित सब हिनका सs भेंट करय लेल आबथि। एहि तरहे पूरा सप्ताह बीमार रहितहुँ हमरा खूब मोन लागल।

आइ भोर सs हमरा एको बेर बुखार नहि भेल। काल्हि भोर मे हिनका मुजफ्फरपुर जयबाक छैन्ह भरि दिन इ हमरा सँग गप्प करैत रहलाह। साँझ मे काका फिस सs अयलाह तs इ हुनका लग बैसि हुनका सs गप्प करय लगलाह आ हम अपन कोठरी मे छलहुँ। माँ मौसी जलखई के ओरिआओन करैत छलिह बाकी भाई बहिन सब बाहर खेलाइत छलैथ। हमरा इ सोचि कs एको रति नीक नहि लागैत छलs जे काल्हि इ चलि जेताह आ ओकर किछु दिनक बाद माँ सेहो चलि जयतीह।

राति मे सुतय काल इ कहलाह भोरे तs हम जा रहल छी मुदा हमर ध्यान अहीं पर ता धरि रहत,जा धरि अहाँक चिट्ठी नही भेंटत जे अहाँ पूरा ठीक भs गेलहुँ अछि। एहि बेर माँ के जाय काल नहि कानब, ओ बड दूर रहति छथि हुनको अहिं पर ध्यान लागल रह्तैन्ह। अहि बेर रोज एकटा कs चिट्ठी अवश्य लिखब, आ हमरा दिस देखैत आ मुस्की दैत कहलाह आब तs अहाँ के चिट्ठी लिखय मे सेहो कोनो तरहक दिक्कत नहि हेबाक चाहि। हमहु हिनकर मुस्कीक जवाब मुस्की सs sदेलियैन्ह।

आजु साँझ मे माँ के अरुणाचल जेबाक छैन्ह। हमरा खराप तs लागि रहल अछि मुदा एहि बेर हम कानैत नहि छी। माँ बड उदास छैथ। एक तs हमरे छोरय मे हुनका नीक नहि लागैत छलैन्ह, आ आब तs बिन्नी के सेहो छोरय परि रहल छैन्ह।माँ बिन्नी के हमरा आ काका के कहला पर छोरि कs जा रहल छथि। पन्द्रह दिन सs बिन्नी के बुखार छलैन्ह ठीक तs s गेलैन्ह मुदा ओ बहुत कमजोर भs गेल छथि। डाक्टर हुनका लs s ओतेक दूर जएबाक लेल मना कs देने छथिन्ह । बाबुजी के चिट्ठी आयल छलैन्ह हुनक मोन खराब छैन्ह। माँ के किछु नहि ुराइत छलैन्ह जे ओ की करथि। जखैन्ह हम कहलियैन्ह जे अहाँ जाऊ बिन्नी के रहय दियौन्ह तs ओ अरुणाचल जयबाक लेल तैयार भs गेलीह।

निक्की बड ताली छथि हुनका कोनो काज काका स वा दोसर किनको सs करेबाक होयत छैन्ह तsततेक नय नाटक करय छथि जे लोग के ओ सच बुझा जायत छैक आ हुनका ओ काज करय लेल भेट जाइत छैन्ह। जखैन्ह सs माँ के जेबाक चर्च शुरू भेलैक निक्की माँ सँग जेबाक लेल हल्ला करय लगलीह।काका कतबहु निक्की के बुझेबाक प्रयास केलैथ मुदा ओ नहि मानलिह आ हुनकर नाटक के आगू सब के हुनकर बात मानय परलैन्ह। माँ निक्की के अपना सँग अरुणाचल लsजएबाक लेल तैयार भs गेलीह।

साँझ मे माँ सोनी, अन्नू, छोटू आ निक्की के लs मुजफ्फरपुर चलि गेलीह। इ कहने रहथिन्ह जे मुजफ्फरपुर बस अड्डा आबि जेताह आ ओहि ठाम सs माँ सब के अपन कालेज लs जयताह माँ सब भरि दिन कालेजक गेस्ट हाउस मे रहि साँझ के अवध आसाम मेल पकरि कs चलि जेतीह। माँ के गेलाक बाद सs घर एकदम सुन भs गेल छलैक। एहि बेर बहुत दिन माँ सँग रहल रहि से आओर खराप लागैत छल। राति मे काका बहुत उदास छलैथ, हुनका निक्की के बिना नीक नहि लागैत छलैन्ह।

आय रबि छैक हमरा कालेज नहि जएबाक छलs। भरि दिन प्रयास मे रहि जे बिन्नी के असगर नहि छोरियैन्ह। बेर बेर हुनका दिस देखियैन्ह जे ओ उदास तs नहि छथि। एक तs हमही छोट बिन्नी तs हमरो सs करीब नौ साल छोट छथि मुदा ओ हमरा पकरि मे नहि आबय दैथ जे हुनका माँ के याद अबैत छैन्ह। दिन भरि काका सेहो बिन्नी लग बैसल रहथि आ हुनका हंसेबाक प्रयास करैत रहलाह। राति मे काका कहलाह काल्हि तs अहाँक कालेज अछि अहाँ अपन समय पर चलि जायब।

सोम दिन हमर दू टा क्लास होयत छलs आ दुनु भोरे मे छल। हम कालेज जाय लगलहुं तs बिन्नी के समझा बुझा देलियैन्ह आ मौसी रहबे करथि। हमर क्लास १० बजे तक छलs, क्लासक बाद हम घर जल्दी जल्दी पहुँच सीधा अपन कोठरी मे गेलहुँ कियाक तs माँ के गेलाक बाद बिन्नी हमरे कोठरी मे हमरे सँग रहैत छलिह। जओं अपन कोठरी मे पहुँचति छी तs बिन्नी आ इ दूनू गोटे बिछाओन पर बैसि कs गप्प करैत आ हँसैत छलाह। हमरा देखैत देरी बिन्नी तुंरत कहय लगलीह, "दीदी निक्की बोमडिला(बोमडिला, अरुणाचल मे छैक) नहि गेलीह। ततेक नय नाटक केलिह जे ठाकुर जी कs पहुँचाबय लेल आबय परलैन्ह"।

साँझ मे काका बड खुश छलथि, निक्की आपस जे आबि गेल रहथि। दोसर दिन इ फेर मुजफ्फरपुर आपस चलि गेलाह।

(अगिला अंकमे)

1

VIDEHA GAJENDRA THAKUR said in reply to Technogati...

by devanagari you mean Hindi perhaps, but this site is in Maithili

Reply05/10/2009 at 01:12 PM

2

Technogati said...

Thanks.I hope Hindi will alive till next world.

Reply05/10/2009 at 12:54 PM

3

Kusum Thakur said in reply to sanjai Mishra...

Sanjai ji, please specify what do you mean by the "complicated language" here in this Novel.

Reply05/10/2009 at 12:12 PM

4

कृष्ण यादव said in reply to Jyoti Kumari Vats...

hamhu ehi se sahmat chhi

Reply05/06/2009 at 11:26 PM

5

sanjai Mishra said...

Went through the part of Novel.Really very nice way of presantation of fact.But I will request you not to use complicated language n facts in Novel if you want to draw the attaintion of mass through yr creation.
Sanjai Kumar Mishra@yahoo.co.in

Reply05/06/2009 at 04:53 PM

6

Subodh thakur said...

Apnek rachna padhla ke bad bujhayal jena madhyam vargak jingi ke parikrama kailaunh saripahun anant sapna puda karvake lel madhyam varg puda jingi ashavan rahait khepai chati

Reply05/06/2009 at 04:41 PM

7

Subodh thakur said...

Apnek rachna padhla ke bad bujhayal jena madhyam vargak jigi ke parikrama kailaunh saripahun anant sapna puda karvake lel madhyam varg puda jingi ashavan rahait khepai chati

Reply05/06/2009 at 04:39 PM

8

Kusum Thakur said...

Dhanyavaad. koshis karab ahaan sab ke niraash nahi kari.

Reply05/05/2009 at 02:23 PM

9

Vidyanand Jha said in reply to Jyoti Kumari Vats...

ehi pothik print form avashya ayebak chahi

Reply05/04/2009 at 09:09 PM

10

Jyoti Kumari Vats said...

एहि उपन्यासक जतेक बाई भए रहल अछि से ठीके भए रहल अछि। ई प्रिंट रूपमे सेहो अएबाक चाही।

Reply05/04/2009 at 09:01 PM

11

Anshumala Singh said...

uttama, kono khep madhyam nahi

Reply05/04/2009 at 08:59 PM

12

Mohan Mishra said...

bad nik rachna sabh, ahank lekhni me flow achhi

Reply05/04/2009 at 08:58 PM

13

Manoj Sada said...

ई उपन्यास अपन स्थान राखत मैथिली उपन्यासक मध्य।

Reply05/04/2009 at 08:57 PM

14

preeti said...

ee bhag seho pachhila dunu bhag jeka, nik

Reply05/04/2009 at 08:55 PM

15

aum said...

upanyasa bad nik lagal, agila beruka pratiksha rahat

Reply05/04/2009 at 08:51 PM

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